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बीज बकर का

बकर का बांध टूट गया,ज़हर का जाम झूम गया,जो कुछ भरा पड़ा था उसमे,देखते ही देखते सब ढुल गया। किसी ने सोचा,आखिर ऐसा क्यों हुआ? वो क्या जाने,हालत उसके मन की।ज्यों ही कंधा मिला रोने को,वो फुट-फुट कर रो दिया। … Continue reading

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