Monthly Archives: December 2017

दोस्त

अब दोस्तों के बारे में क्या बताये, बस इतना ही कह सकता हुँ कि दोस्त जैसे भी हो दोस्त होते है। यह कविता अपने सभी दोस्तों को समर्पित करता हुँ क्योंकि मैं भी उन्ही का दोस्त हुँ। :p हर दोस्त … Continue reading

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चिंतन

कभी कही ऐसे ही बैठे-बैठे जीवन के प्रश्न पर चिंतन-मनन करते हुए कुछ विचार इसप्रकार आये – लड्डू से नुक्ती बटने तक बंधा हुआ क्यूं जीवन सारा? जनम-मरण के चक्र में उलझा, इससे ऊपर उठ ना पाया। मन समाज के … Continue reading

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