जीवन संग्राम

मुश्किलों में चलने का अंदाज़ जुदा होता है,
कदमो की रफ़्तार तेज़ और वक़्त थमा होता है।

अड़चने पैरो में कांटो की तरहा चुभती है,
उस दर्द में ही बढ़ने का जज़्बा छुपा होता है।

हर कदम और मजबूती से राह में पड़ता है,
जो मंजिल की मुश्किलों को पाटने को बड़ता है।

मुश्किलें नहीं मज़िल बड़ी होती है,
उसी की चाह में राही परवान चढ़ा होता है।

जो मुश्किलों से लड़ता हुआ बढ़ता है,
वही जीवन संग्राम का विजेता होता है।

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